देश मे पहली बार ट्विटर एवं व्हाटसअप के माध्यम से RTI मामले का निराकरण
भोपाल। RTI के तहत जानकारी लेने में अक्सर आवेदको की चप्पले घिस जाती है। पर देश मे पहली बार एक नया प्रयोग करते हुए मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त राहुल सिंह महीनों में होने वाले कार्य को चंद घंटों में अंजाम दे रहे है। सिंह की कार्यशैली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। वे ट्विटर के माध्यम से शिकायत प्रकरण दर्ज़ कर रहे है। साथ ही साथ फ़ोन पर ही सुनवाई करके अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाई व्हाट्सएप के माध्यम से बुला लेते है।
ट्विटर पर किया प्रकरण दर्ज। रीवा जल संसाधन विभाग का मामला
कानून के तहत 30 दिन में जानकारी देने के प्रावधान हैं पर अक्सर अधिकारियों की लापरवाही के चलते कई मामले महीनों सालो तक लंबित हो जाते हैं। अपनी तरह के पहले मामले में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ट्विटर पर मिली शिकायत पर ही प्रकरण पंजीबद्ध कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर दी है।
ऐसे परेशान किया अपीलकर्ता को
दुबे ने प्रकरण में गोविंदगढ़ रीवा मेंं जल संसाधन विभाग से जुड़ी हुई जानकारी मांगी थी। उनकी अपील को मुख्य अभियंता के कार्यालय ने कार्यपालन यंत्री के कार्यालय में ट्रांसफर कर दी थी। अपीलकर्ता मनोज कुमार दुबे जब भी कार्यालय जाते वहां उनको प्रकरण की कोई जानकारी नही दी जाती। बाद में मुश्किल से बाबू मिले तो बाबू ने जानकारी की प्रतिलिपि के लिए ₹2 का चालान एसबीआई बैंक चालान के माध्यम से जमा करने को कहा। अपीलकर्ता ने विरोध किया कहा कि नगद में पैसे जमा करवा लें, दो रुपये का बैंक से चालान बनाने वे कहा जाएगे। मनोज ने उस वक़्त अपने मोबाइल कैमरे से उक्त अधिकारी का वीडियो भी बना लिया जिसमें अधिकारी कह रहे हैं कि उनको आरटीआई के कानून से कुछ लेना-देना नहीं है। यह वीडियो और अपनी पूरी शिकायत उन्होंने ट्वीट के माध्यम से राज्य सूचना आयुक्त के ट्विटर हैंडल पर पोस्ट कर दी। सूचना आयुक्त राहुल सिंह छुट्टी पर थे पर उन्होंने चंद मिनटों में इसका संज्ञान लेते हुए अपने कार्यालय को इस मामले में प्रकरण पंजीबद्ध करने के निर्देश दे दिए। सूचना आयुक्त के निर्देश पर उनके कार्यालय ने तत्काल व्हाट्सएप के माध्यम से अपीलकर्ता से धारा 18 के तहत शिकायत का आवेदन भी प्राप्त किया अपीलकर्ता ने अपनी शिकायत में बताया कि किस तरह से उनको सरकारी कार्यालय में जानकारी देने के नाम पर भटकाया जा रहा है।
ये कार्यवाही की दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़। ₹2000 हर्जाना अपीलकर्ता को।
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल @rahulreports पर रीवा के अधिवक्ता मनोज कुमार दुबे से मिली शिकायत पर कड़ी कार्रवाई करते हुए मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग के रीवा संभाग के मुख्य अभियंता एवं कार्यपालन यंत्री के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई एवं ₹7500- 7500 जुर्माने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। साथ ही विभाग के एक अन्य अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन तलब किया है। मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग को अपीलकर्ता को ₹2000 का मुआवज़ा देने के आदेश भी सूचना आयुक्त ने जारी किए है।
सूचना आयुक्त राहुल सिंह के मुताबिक इस प्रकरण में एक नहीं बल्कि सूचना के अधिकार कानून की कई धाराओं का उल्लंघन हुआ है। 30 दिन की समय सीमा के उल्लंघन होने के बाद अपीलकर्ता चाहे तो प्रथम अपील में ना जाकर सीधे जुर्माने एवं अनुशासनिक कार्रवाई के लिए धारा 18 के तहत सूचना आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। धारा 18 के तहत जानकारी देने का प्रावधान नहीं है लेकिन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
सूचना आयुक्त ने इस शिकायत के अवलोकन के बाद अपने आदेश में कहा कि स्पष्ट तौर पर समय सीमा का उल्लंघन हुआ है जो की धारा 7 (1) का उल्लंघन है। वही मात्र एसबीआई का चालान मांग कर लोक सूचना अधिकारी कार्यालय कार्यपालन यंत्री ने धारा 7 (5) का उल्लंघन किया है। लोक सूचना अधिकारी को अपीलकर्ता की हर संभव मदद करनी चाहिए थी जो नहीं की गई यहां धारा 5 (3) का भी उल्लंघन हुआ है । डीम्ड लोक सूचना अधिकारी कार्यपालन यंत्री ने धारा 5 (5) का उल्लंघन किया है क्योंकि उन्होंने जानकारी नहीं देकर लोक सूचना अधिकारी मुख्य अभियंता का असहयोग किया है।
लोक सूचना अधिकारी मुख्य अभियंता कार्यालय मात्र आरटीआई आवेदन को दूसरे कार्यालय में अंतरित करके अपने कर्तव्यों से इतिश्री नहीं कर सकते हैं जानकारी देने में उनकी भी जवाबदेही तय होती है।