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भोपाल / बालग्राम व शिशुगृह ने बिना सूचना बच्चों को विदेश में दिया गोद; देखभाल और संरक्षण के लिए सौंपे गए थे


विदेश में बच्चाें काे गाेद देने के मामले में बाल कल्याण समिति ने जांच शुरू कर दी है। एसओएस बालग्राम से पहुंचे दस्तावेजों से समिति काे जानकारी मिली कि चाइल्ड लाइन ने बच्चे देखभाल व संरक्षण के लिए साैंपे थे। समिति अब मामले में जांच में जुट गई है कि देखरेख व संरक्षण के लिए बालगृृह में रखे गए बच्चाें काे लीगल फ्री करने की प्राेसेस क्याें की गई।


वहीं दादी ने शुक्रवार काे बाल आयाेग पहुंचकर पाेते और पाेती काे विदेश से वापस लाने के लिए आवेदन दिया है। मामले में संज्ञान लेते हुए आयाेग ने कलेक्टर, आईजी और महिला बाल विकास विभाग के आयुक्त से जांच रिपाेर्ट मांगी है। बाल कल्याण समिति ने प्रारंभिक जांच में पाया कि बच्चाें काे गलत तरीके से विदेश भेजा गया है। लापरवाही कहां हुई, अब समिति उसके दस्तावेजी प्रमाण जुटा रही है। इधर, आयाेग के सदस्य ब्रजेश चाैहान का कहना है कि जेजे एक्ट के मुताबिक देखरेख व संरक्षण के लिए बालगृह में रह रहे बच्चे गाेद नहीं दिए जा सकते।


तीन साल पहले लीगल फ्री किया
एसओएस बालग्राम ने जानकारी दी कि बच्चों को तीन साल पहले लीगल फ्री किया गया। इस दाैरान बच्चे बकायदा अपनी दादी से मिलते रहे। बालग्राम ने दादी काे लीगल फ्री करने की जानकारी नहीं दी। यही नहीं लीगल फ्री हाेने के तीन साल बाद जनवरी 2020 में बच्चे अमेरिका के दंपती काे साैंपे गए हैं। इसकी जानकारी एसओएस बालग्राम ने वर्तमान बाल कल्याण समिति काे नहीं दी। 


परिजनाें का पता हाेने के बाद भी किया गया लीगल फ्री
सूत्राें के मुताबिक चाइल्ड लाइन ने 2015 में अपनी रिपाेर्ट तत्कालीन बाल कल्याण समिति काे साैंपी थी। इसमें उन्हाेंने बताया कि बच्चे देखरेख व संरक्षण के लिए छाेला पुलिस थाने ने साैंपे हैं दस्तावेजाें में बकायदा दादी के अंगूठे के निशान, चाइल्ड लाइन के फॉर्म-17 में हस्ताक्षर वेरीफिकेशन व छाेले में घर का पता दिया हुआ था। इसके बावजूद एसओएस बालग्राम व शिशुगृह के आवेदन के बाद तत्कालीन बाल कल्याण समिति के सदस्य रेखा श्रीधर, सीमा अग्रवाल, सत्येंद्र कुमार व माेहन चाैकसे ने 2017 बच्चाें काे लीगल फ्री कर दिया।